Saturday 14 April 2012


यकीन हो चला हे मुझे
इक मोड़ पर मिलकर
 जुदा हो गये रास्ते हे हम*
ज़मीन पर आसानी से
दूरियाँ तय करने वाले
क्यों दिलों की दूरियों
को कम नहीं करते.?
कोई भी खवाब आँखों मे नहीं डूबता
बस सुबह हो जाती हे...
दो अलग प्रजाति
के पौधों की ग्रॅफटिंग कर के
ईश्वर स्वयम् परिणाम के लिए उत्सुक हे..
कितना आसान हे..
बारिश मे  मन को भिगोना
कठिन हे गीली आँखों के कोरो को छूना
दो   किनारे करते हे कोशिश
समेटने की नदी के प्रबल प्रवाह को
खामोशी से.........

Friday 6 April 2012


न तुझे पाने की ख़्वाहिश रही,
 ना तुझे खोने का मलाल
तेरे इस खेल से बिखरे
कुछ ऐसे  हालात....
हसरतें गर मेरी हे,
तो कुछ चाहत तेरी भी थी
तेरे अहसानों के मोहताज़ नहीं ..
ये मेरे ज़ज्बात.....
कब तक  इक अहसास को
संभाले रहेंगे हम..?
जीना चाहते हे खुद को
अब मेरे ख्यालात....

Thursday 5 April 2012

tarpan


जाओ मुक्त किया मैने तुम्हें,
अपने प्रेम से, ख्यालों से,
वादा तो नही करती,
पर कोशिश करूँगी
पूरी ईमानदारी से..
तुम्हें ना सोचने की..
चाहने की....
काश कोई ऐसी जगह होती
जहाँ कर आती मैं अपने
प्रेम का तर्पण..
मुक्त कर देती
तुम को, स्वयं को