न तुझे पाने की ख़्वाहिश रही,
ना तुझे खोने का मलाल
तेरे इस खेल से बिखरे
कुछ ऐसे हालात....
हसरतें गर मेरी हे,
तो कुछ चाहत तेरी भी थी
तेरे अहसानों के मोहताज़ नहीं ..
ये मेरे ज़ज्बात.....
कब तक इक अहसास को
संभाले रहेंगे हम..?
जीना चाहते हे खुद को
अब मेरे ख्यालात....
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home