Thursday 24 December 2020

 तू मेरे इश्क़ को तलाशता हे,मुझ मे कही..

बेख़बर ..दफ़न हे ये तेरे,

सीने मे ही कही
मेरी रूह से होकर गुजरने वाले,
 है परेशान...
जो ठहर जाते,
तो जाने क्या होता..
खुद ही भटके है.
अपनी ही राहगुजारों में,
जो हम राह दिखा देते, तो जाने क्या होता..
तेरे-मेरे दिल मे उगे उन तमाम
कांटो के बावज़ूद..
कुछ अनखिलें गुलाब,
 अब भी
आकर्षित करते है..
भरे हे पन्ने 
तमाम शिकायतों से..
पर कुछ शब्द आज भी,
बुलाया करते हे..
बंद हे दरवाजे भले ही,
अपनी दुनिया के..
पर सपनों की खिड़की से,
हम अब भी,
आया -जाया करते हे

 सो रहे हो..?

नहीं आँखें बंद करे जगे हो..
जानती हू मैं,
तुम इंतेज़ार मे हो,
किसी मसीहा के,
जो तुम्हारे लिए अपनी
जान पर खेलेगा..
तुम तो अभी भी लाचार हो..
तुम्हें आज़ादी नहीं मिली ना..
वो तो किताबों मे है
संविधान मे है
तुम आज भी गुलाम हो
अपनी मानसिकता के,
विवशता के,
तुम्हारे पास ग़रीबी है,
विषमता है..
सब जानते हे आम आदमी,
तुम कितने लाचार हो...

Monday 3 October 2016

प्रीत

प्रीत MONDAY, OCTOBER 3, 2016

पेड़ की टहनी पर ,
शेष एक पत्ती, उम्मीद सी नयी, कोमल,हरी या पीली, पतझड़ सी प्रीत भी कुछ ऐसी ही झूठी , कभी किस्से- कहानियो सी, कभी कविता सी, कभी जुगल गीत सी, गुजरती है.. दिल से दिमाग़. दिमाग़ से फिर दिल, संगीत सी,मद्धिम रूहानी सी, सूफ़ियाना .. सच्ची सी हो जाती है..

Wednesday 15 June 2016

उसने कहा था की तुम्हारी आँखों की नमी में
सफेद गुलाब खिलते हैं.. और
 वो अपनी आँखो की नमी को
 सहेज़ कर रखने लगी...
फिर किसी ने कहा.. तुम्हारी हँसी से धरती पर
सफेद बोगानविलिया बिखर जाते है
बर्फ की चादर की तरह..
और फिर  रात मे खिलते रहे गुलाब
और दिन भर बोगानविलिया बिखरते  रहे

Monday 12 October 2015

दरमियाँ....

दरमियाँ....

है भले ही रेत का एक अथाह समंदर दरमियाँ, 
चाहत की एक नदी कही गहराई मे बहती है..
तू लाख बन जा दरिया , कभी आसमान,
रोशनी मेरी रूह की, तेरे दिल मे रहती है..
कुछ सुर्ख फूल खिलते हे मेरे भी शहर मे,
यादों की हवा यहा भी बहती है..
मैं चुप ही सही हूँ ,अपनी आबो-हवा मे,
तन्हाई तेरी, मेरी हर बात, तुझ से करती है.. काव्या

Wednesday 8 October 2014

वो चाँद चाँद एक खवाब ख्वाब सा,
मैं लहर लहर एक रात  सी,
वो सहर सहर एक आसमान सा,
मै पहर पहर एक  बात सी,
वो  महका महका एक कवल सा,
मैं खिली खिली उन्मुक्त हँसी सी
वो भूला भूला  एक झूठ सा,
मैं बिखरी बिखरी एक याद सी.,
वो सख़्त सख़्त एक दरख़्त सा,
मैं झुकी झुकी एक नरम डाल सी,
वो हल्का हल्का आवारा बादल सा,
मैं भीगी भीगी फुहार सी
वोगहरा गहरा नीला सागर सा
मैं खोई खोई इंतज़ार सी. 

Wednesday 10 September 2014

love unconditional

Is this a prayer of some one
or sobbing sigh of hurtful heart
in the universe?
all my efforts go in vain
my love could not win your ego
do not doubt you..
 but can't see
loosing my identity...
feeling low, in secured,
scared n helpless..
still hope for d day
you to come
out of your
manifested box
accept me unconditionally
not granting  me any wish
to show your strength but
a single true moment ...
true self of you holding
my  love in your arms