Thursday 4 September 2014

देख कर अनदेखा किया करता है,
 वो साया जो अपने
कद से भी बहुत उँचा है
अक्सर उस राह पर नज़र आता है,
ख़यालों से बात करता हुआ,
कुछ शब्द ढूंढता हुआ,
रात के अंधेरे मे..
और फिर देखती हू उसे
 सुबह स्वप्न बेचते हुए

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home