Saturday 14 January 2012



आज भी तू हवाओं में हे,
फिजाओं में हे, धड़कन में हे,
दुआओं में हे, नींदों में हे,
 चाहतों में हे,मौसम में हे,
 गीतों में हे,हँसी में हे, आँसू में हे
हर पल में हे, हर शह में हे..
पर ये दिल ,
अब और काफ़िर बनने से इन्कार करता हे

Labels: