jindagi
By Nidhi Sahu · about a minute ago
यूँ ही घूमते हुए
लंबे, घने दरख्तो के दरमियाँ....
सफेद चम्पयी फूलों से रिस-रिस कर
बहती हे शीतलता......
एक पल को भटक जाती हे व्यथा...
तन्हाई जीती हुई मैं...
मुस्कुरा देता हे सुर्ख लाल गुलमोहर..
सिमट जाती हे निगाहें मेरी
चटकतीकलियों पर....
ज़िंदगी कुछ पलों मे सिमट आती है
कहता हे रजनीगंधा लहराकर........
