Wednesday 24 August 2011

jiye he


By Nidhi Sahu · 7 minutes ago
जीए हे किंचित मैने वे पल,
प्रतिक्षण अंधकार से जूझते हुए
अपने अन्दर छुपी  सारी ,
आकाँक्षाओ व आशंकाओ के
विश्लेषण के बाद........
जिए हे मैने वे पल भी
समय से कही ज़्यादा तीव्र
अस्वाभाविक, असामयिक वेदना के,
डूबी और बही हूं वक़्त की लहरों के साथ
तब जाकर पाया हे मैने बूँद- बूँद विश्वास का योगदान
किया हे अनुभव व्यथा और आस्था का
जीवन मे
पाए हे मैने कथित वे पल

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