Sunday 25 December 2011

kabhi kuch aisa bhi ho

कभी कुछ ऐसा भी हो..
ना उदासी के बादल हो.
ना गम की बारिशे हो
ना  आँसू की नमी हो
ना गीली सी हँसी हो
कभी कुछ ऐसा भी हो...
तेरी बेरूख़ी की धूप न हो
मेरी चाहतो के साए न हो
ख्वाबो मे भी मैं ही हूँ
 और ख़्वाहिश मे  भी मैं ही हू
कभी कुछ ऐसा भी हो....
ना कोई कसक हो
ना कोई अहम हो
ना कोई जीत हो
ना कोई हार हो
सिर्फ़ एक खामोशी हो....
कभी कुछ ऐसा भी होकुछ....
 मौसम की रूमानी हो
कुछ मेरी मनमानी हो
कुछ पल हो चाहत के
कुछ पल हो राहत के
कुछ खोई सी, कुछ सोई सी
मैं और बस मैं ही  हूँ....

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