khamoshi
By Nidhi Sahu· Tuesday, April 12, 2011
कोई दिन बुलाने से नहीं आता
कोई रात चाहने से नहीं जाती.
कुछ रिश्ते चाह कर भी ,नहीं बन पाते,
कोई डोर तोड़ देने से नहीं टूटती.
कई ख्वाब हक़ीक़त में बदल जाते हे
कोई हक़ीक़त ख़्वाब नहीं बन पाती.
कई बाते धीरे धीरे ख़ामोश हो जाती हे.
कोई ख़ामोशी कभी बात नहीं बन पाती

कोई रात चाहने से नहीं जाती.
कुछ रिश्ते चाह कर भी ,नहीं बन पाते,
कोई डोर तोड़ देने से नहीं टूटती.
कई ख्वाब हक़ीक़त में बदल जाते हे
कोई हक़ीक़त ख़्वाब नहीं बन पाती.
कई बाते धीरे धीरे ख़ामोश हो जाती हे.
कोई ख़ामोशी कभी बात नहीं बन पाती

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