Thursday 5 April 2012

tarpan


जाओ मुक्त किया मैने तुम्हें,
अपने प्रेम से, ख्यालों से,
वादा तो नही करती,
पर कोशिश करूँगी
पूरी ईमानदारी से..
तुम्हें ना सोचने की..
चाहने की....
काश कोई ऐसी जगह होती
जहाँ कर आती मैं अपने
प्रेम का तर्पण..
मुक्त कर देती
तुम को, स्वयं को

2 Comments:

At 4 May 2012 at 04:14 , Blogger ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुंदर.........
वाह!!!


अनु

 
At 24 December 2020 at 09:01 , Blogger khamosh kinare said...

Thank you anu ji

 

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